Wednesday, August 19, 2009

लाइलाज नहीं हैं सफेद दाग

लाइलाज नहीं हैं सफेद दाग

शरीर पर सफेद दाग होना एक ऐसी समस्या है, जिससे व्यक्ति में हीन भावना घर कर जाती है। यदि ये दाग शरीर के उन हिस्सों पर हैं, जो खुले रहते हैं तो न चाहते हुए भी लोगों का ध्यान उस पर जाता है। इस वजह से सफेद दाग से ग्रस्त लोग सामाजिक मेल-मिलाप से कतराते हैं। यही नहीं, ये दाग उनकी शादी-ब्याह में भी बाधक बनते हैं। एक समय था जब इन्हें लाइलाज समझा जाता था तथा इन दागों के साथ जीना व्यक्ति की मजबूरी थी, लेकिन आज इनका इलाज संभव है। यानी इन्हें हटाकर व्यक्ति अपना खोया हुआ आत्मविश्वास प्राप्त कर सकता है।

कारण
सफेद दाग क्यों होते हैं? हमारे शरीर में व्याप्त पिगपेंट कोशिकाएँ त्वचा के स्वाभाविक रंग को बनाए रखती हैं, लेकिन जब किसी कारण से वे ठीक से कार्य नहीं करतीं, तो सफेद दाग पड़ने लगते हैं। जरूरी नहीं कि ये दाग हाथ, पैर या चेहरे पर ही हों, शरीर के किसी भीअंग पर ये दाग पड़ सकते हैं। संख्या में ये एक या अनेक भी हो सकते हैं। कुछ लोगों का संपूर्ण शरीर ही सफेद दाग से ग्रस्त हो जाता है और कहीं भी त्वचा का स्वाभाविक रंग नजर नहीं आता। हमारे शरीर में मेलनिन नाम का एक ऐसा पदार्थ पाया जाता है जो त्वचा को सामान्य रंग-रूप प्रदान करता है। जब शरीर में इस पदार्थ की कमी हो जाती है तो सफेद दाग उभरना शुरू हो जाते हैं। माना जाता है कि लीवर डिस्फंक्शन या लीवर का सही तरीके से कम नहीं करना भी इसका एक कारण है। इसके अलावा किसी पदार्थ से एलर्जी की वजह से भी सफेद दागउत्पन्ना हो सकते हैं। कुछ कारण सफेद दाग को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं जिसमें मानसिक तनाव मुख्य है। इसके अलावा फास्टफूड अथवा मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन से भी इनमें विस्तार होता है।

छूत का रोग नहीं
सफेद दाग छूत का रोग नहीं है, इसलिए इससे ग्रस्त व्यक्ति के साथ उठने-बैठने, खाने-पीने, सोने आदि से संक्रमण का कोई खतरा नहीं रहता है और न ही यह कुष्ठ रोग है। यह अनुवांशिकी भी नहीं है। यानी माता या पिता को सफेद दाग होने का मतलब यह नहीं कि उनकी संतानों में भी यह होगा। त्वचा के विकार से उत्पन्ना इस रोग में कोई कष्ट नहीं होता सिवाए इसके कि शरीर भद्दा दिखता है। सफेद दाग की शुरुआत चने के दाने के आकार से होती है। फिर वह अपना आकार बढ़ा लेता है तथा धीरे-धीरे अन्य स्थानों को भी अपनी चपेट में ले लेता है।

उपचार
इसका उपचार न केवल दाग वाले स्थान का किया जाता है अपितु उन संचालित स्थानों का भी किया जाता है जहाँ इसके होने का अंदेशा रहता है। उद्देश्य यह रहता है कि बीमारी आगे न बढ़े।

सफेद दाग के उपचार में धैर्य की आवश्यकता है। यह दो सप्ताह से लेकर दो वर्ष तक चल सकता है। इसके ठीक होने की अवधि इस बात पर निर्भर करती है कि दाग संख्या में कितने हैं, कहाँ पर हैं तथा उनका आकार क्या है। अब अत्याधुनिक मशीनों से सफेद दाग का उपचार किया जाता है। इसके उपचार में जिन मशीनों और विधियों का इस्तेमाल किया जाता है, उनमें टॉरगेट फोटो थैरेपी, नैरो बैंड यूवीबी प्लस यूवीए पद्धति, फुल बॉडी यूबीए पद्धति, हैंड एंड फुट यूनिट तथा अरबीयम याग लेजर मुख्य हैं। बौनी एरिया के सफेद दागों को ठीक करने के लिए टॉरगेट फोटो थैरेपी इस्तेमाल की जाती है, जबकि इन दागों को नियंत्रित करने के लिए नैरो बैंड यूवीबी प्लस यूवीए पद्धति अपनाई जाती है। जलने या दुर्घटना के फलस्वरूप उत्पन्ना हुए सफेद दागों को ठीक करने के लिए अरबीयम याग लेजर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। हाथ तथा पैर के सफेद दाग मिटाने हेतु हैंड एंड फुट यूनिट का इस्तेमाल होता है। जबकि प्यूवा फोटो थैरेपी की ही मूल पद्धति है जिसके परिणाम बेहतर होते हैं और इलाज भी कम खर्च में होता है।

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