'डर', एक ऐसा शब्द है, जो सकारण और अकारण दोनों तरह से पनप सकता है। अकारण पनपने वाले भय में कल्पनाएँ डराती हैं। दुनिया में सैकड़ों तरह के 'फोबिया' या भय व्याप्त हैं, जिन्हें चिकित्सा विज्ञान ने पहचाना और उनके दूर होने में मदद भी दी है। भय के इन प्रकारों पर सम्मोहन विद्या भी असरदार साबित हो सकती है। इनमें कुछ प्रकार के फोबिया से आइए परिचय करें। साधारण भय और भय रोग (फोबिया) में यह अंतर है कि खतरे की स्थिति में जो शारीरिक और मानसिक प्रतिक्रिया होती है वह तो भय है, जबकि वास्तविक कारण की मौजूदगी में उचित से बहुत अधिक मात्रा में भय की अनुभूति अथवा काल्पनिक कारणों से बेहद भयभीत होना भयरोग कहलाता है। दुनिया भर में अनेक प्रकार के अयथार्थ भय पाए जाते हैं, जैसे- खुले स्थान का भय (एगोरा फोबिया)- कभी-कभी कई बार हमें कुछ व्यक्ति यह कहते हुए मिल जाते हैं कि उन्हें खुले में जाने से डर लगता है। ये व्यक्ति खुले स्थान में अकेले नहीं रह सकते। इस प्रकार का डर ही एगोरा फोबिया कहलाता है। ऊँचाई का भय (एक्रो फोबिया) इसके अंतर्गत व्यक्ति ऊँचाई पर जाने से डरता है, उसे ऊँचाई पर घबराहट होती है, चक्कर आते हैं। उसे ऐसा लगता है कि वह ऊँचाई पर पहुँचते ही गिर जाएगा या उसे कुछ हो जाएगा। कई बार जब यह डर व्यक्ति के मन में गहराई में पहुँच जाता है तो वह बेहोश भी हो जाता है। बंद स्थान का भय (क्लास्ट्रो फोबिया) कुछ लोगों को बंद स्थान का भय लगता है। बंद स्थान के भय से आशय है व्यक्ति को लगता है कि अगर वह बंद कमरे में रहता है या रहेगा तो उसे घुटन होगी, घबराहट होगी। वह चाहता है कि वह हर वक्त खुले स्थान में रहे। अगर वह कमरे में भी है तो वह चाहता है कि सारे दरवाजे खिड़कियाँ खोल दें, ताकि अंदर हवा आती रहे। अगर दरवाजे खिड़कियाँ बंद हो जाएँगे तो उसे घुटन होगी, घबराहट होगी। |
अँधेरे का भय (निक्टो फोबिया) इसके अंतर्गत व्यक्ति को अँधेरे में जाने से डर लगता है। उसे लगता है कि अगर वह अँधेरे में जाएगा तो वह उस अँधेरे का सामना नहीं कर पाएगा। कई बार कुछ व्यक्तियों को अँधेरे में जाने का डर इसलिए भी लगता है, क्योंकि वे सोचते हैं कि अँधेरे में कहीं उन पर भूत-प्रेत आदि ना आ जाएँ। गंदगी का भय (माइसो फोबिया) इसके अंतर्गत व्यक्ति को गंदगी से भय लगता है। उसे लगता है कि अगर वह किसी व्यक्ति, वस्तु को छुएगा तो उसकी जिंदगी कीटाणु आदि उसे भी लग जाएँगे और वह बीमार हो जाएगा। वह इस भय से छुटकारा पाने के लिए कई बार स्नान करता है, अपने आपको पानी एवं साबुन से बार-बार साफ करता है। घर, कमरे, उसकी वस्तुओं की भी सफाई करता है, क्योंकि उसे ऐसा भय लगता है कि अगर उसकी वस्तुओं को किसी ने छू लिया तो उसमें कीटाणु लग जाएँगे। वह बीमार हो जाएगा। इसके अलावा और भी सैकड़ों प्रकार के भय पाए जाते हैं। ऐसा नहीं है कि ये भय केवल कुछ व्यक्तियों को किसी उम्र विशेष में ही होते हैं। भय के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। भय कई बार एक भय के खत्म होते ही दूसरा भय उसकी जगह ले लेता है। भय का निवारण सम्मोहन चिकित्सा द्वारा संभव है। सम्मोहन चिकित्सा द्वारा रोगी को अतीत में ले जाकर भय के कारणों का पता लगाकर उसका निवारण किया जाता है। एक कुशल सम्मोहन चिकित्सक एवं मनोविज्ञान के ज्ञाता द्वारा ही हमें यह चिकित्सा करवाना चाहिए। शुरुआत में ही भय केलक्षण का पता लगते ही कुशल सम्मोहन चिकित्सक से संपर्क कर भय का कारण एवं निवारण जानना चाहिए। अगर एक बार यह भय हमारे मन में गहरी पैठ जमा ले तो उससे मुक्ति पाने में मुश्किल आती है। अतः लक्षणों का ज्ञान होते ही उसका निवारण करना चाहिए। |
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