Wednesday, August 19, 2009

भोजन बचाए बीमारियों से

भोजन बचाए बीमारियों से

-निर्मला फेराओ

हमारा भोजन भी बीमारियों से लड़ता है, यह विचार कोई नया नहीं है। यूनान के आदि चिकित्सक हिप्पोक्रेटीज ने सदियों पहले ही इसे इन शब्दों में सूत्रबद्ध कर दिया था- 'तुम्हारे भोजन को ही तुम्हारी औषधि का काम भी करने दो।' लेकिन आज जबकि आधुनिक विज्ञान की प्रयोगशालाओं ने भी लहसुन, पत्तागोभी, गेहूँ के चोकर तथा सोयाबीन पर अनुसंधान शुरू कर दिया है, हिप्पोक्रेटीज की यह सलाह इस जमाने की कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग तथा गठिया जैसी असाध्य बीमारियों से लेकर सर्दी, जुकाम जैसी मामूली परेशानियों के खिलाफ अपना प्रभाव साबित कर रही है। अब इस बात के पहले से कहीं ज्यादा प्रमाण उपलब्ध हैं कि हमारा रसोईघर ही हमारा सबसे अच्छा दवाखाना बन सकता है।

गाजर : यह कैंसर जैसी बड़ी बीमारी के खिलाफ आपके जिस्म का संरक्षक बन सकता है। अब तक किए गए अनेक अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि कैंसर, खासतौर से धूम्रपान या तम्बाकू चबाने से संबंधित रोग, फेफड़े तथा अग्नाशय (तिल्ली) के कैंसर से बचाव में गाजर अग्रणी भूमिका निभा सकता है। आखिर गाजर में ऐसा कौन-सा तत्व छुपा है, जो यह करतब दिखा रहा है। दरअसल गाजर में बीटा-केरोटीन नामक वह एंटी ऑक्सीडेंट (उपचयन विरोधी) तत्व भरपूर मात्रा में होता है, जो शरीर की कोशिकाओं की क्षति को रोककर न केवल कैंसर बल्कि असमय बूढ़ापे को भी आने से रोकता है। यह एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में धमनियों में कोलेस्ट्रॉल को एकत्र होने से भी रोकता है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल संचय को रोकने में गाजर भी उतना ही कारगर है जितना कि जई का चोकर। हमारे जिस्म में गाजर को बीटा-केरोटीन में बदलने का काम विटामिन '' करता है। यही विटामिन '' हमारी आँखों के पर्दे (रेटिना) में रहने वाले रंग द्रव्य के साथ मिलकर उसके बिगड़ाव से संबंधित व्याधि की गति को रोकता है। इन सबके साथ ही गाजर में मौजूद रेशे कब्जियत से राहत पहुँचाने के अलावा बड़ी आँत के कैंसर के जोखिम को भी घटाते हैं, क्योंकि इसके सेवन से आँत में विषाक्त पदार्थों के रहने की अवधि घट जाती है।

पालक : स्वाद की दृष्टि से तो पालक भले ही सबको नहीं भाता, लेकिन कैंसर प्रतिरोधक तत्वों के लिहाज से गहरे हरे रंग की पत्ती वाली सब्जियों में यह सबसे आगे है। क्लोरोफिल और बीटा केरोटीन समेत 18 केरोटीन तत्वों, दोनों के मामले में पालक बहुत ही समृद्ध सब्जी है। दुनिया भर में किए गए अध्ययनों से अब यह प्रमाणित हो चुका है कि सभी प्रकार के कैंसर जिन लोगों को सबसे कम होते हैं, उनके द्वारा खाए जाने वाले खाद्यों की सूची में पालक और गाजर का स्थान सबसे ऊपर है।

पालक में 'बी' समूह के विटामिनों में से फॉलिक एसिड भारी मात्रा में होता है, जो पेडू और फेफड़े के कैंसर से हमारा बचाव करता है। पालक में रहने वाला यही फॉलिक एसिड रक्तल्पता और स्पाइना बायफीडा (खुला मेरूदंड) तथा एनेन्सीफैली (मस्तिष्क या खोपड़ी की हड्डियाँ न होने) जैसे जन्मजात दोषों की रोकथाम में भी सहायक बनता है। पालक में इसके अलावा कैल्शियम, पोटेशियम तथा मैग्नेशियम जैसे वे खनिज भी होते हैं, जो रक्तचाप को नियंत्रित रखने के लिहाज से महत्वपूर्ण होते हैं।

पत्तागोभी : बेचारी पत्ताभोगी को सब्जियों में फूलगोभी या गाजर जैसा सुपर स्टार दर्जा तो नहीं प्राप्त है किंतु उसके पत्तों की परतों में जो ढेरों औषधीय तत्व छुपे हुए हैं, उसके प्रमाण लगातार बढ़ रहे हैं। परीक्षणों से पता चला है कि सप्ताह में सिर्फ एक मर्तबा पत्तागोभी खाने से ही बड़ी आँत के कैंसर का जोखिम 66 प्रतिशत तक घट जाता है। उससे कहीं ज्यादा महँगे फूलगोभी तथा ब्रूसेल्स स्प्राउट्स जैसे सहोदरों के समान ही पत्तागोभी भी उदर और संभवतः पीयूष ग्रंथि तथा मूत्राशय के कैंसर के विरुद्ध जंग में अग्रिम मोर्चे पर तैनात है।

भोजन बचाए बीमारियों से

दुनिया भर में वैज्ञानिकों को अब पता चल चुका है कि पत्तागोभी में आँत के फोड़ों (अल्सर) को भरने के अद्भुत गुण होते हैं। लखनऊ स्थित औषध अनुसंधान संस्थान के शोधार्थियों ने पत्तागोभी में निहित श्लेष्म रस जैसे एक ऐसे तत्व को अलग करने में सफलता प्राप्त की है जो पेट की भीतरी झिल्लियों को एसिड के हमलों से बचाए रखते हुए अल्सरों को भरने में सहायता करता है।

केला : इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन 'बी-सिक्स' तथा विटामिन 'सी' भरपूर मात्रा में होते हैं। ये स्त्रियों को माहवारी पूर्व के कष्टों से तथा कम्प्यूटर पर देर तक बैठने वालों को कलाई में आमतौर से लग जाने वाली चोट के दर्द से बचाते हैं, साथ ही खून की कमी को दूर कर हमें संक्रमणों से भी हमारा बचाव करते हैं। आसानी से पचने के कारण केले को कब्ज और दस्त दोनों ही विकारों में उपयोग किया जाता है।

आँवला : यह फल विटामिन 'सी' का अजस्र भंडार है। इसमें संतरे से बीस गुना अधिक इसकी मात्रा पाई जाती है। विटामिन 'सी' दहन विरोधी तत्वों (एंटीऑक्सीडेंट) में से एक है और अनेक परीक्षणों में उसे मुख, गले, उदर तथा पेडू कैंसर का जोखिम घटाने वाला तत्व पाया गया है। विटामिन 'सी' हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को भी मजबूत करता है। यह सर्दी-जुकाम की अवधि और उग्रता को भी कम करता है।

लहसुन : हृदय रोग, आघात, कैंसर तथा अनेक प्रकार के संक्रमणों से लहसुन पूरे पराक्रम के साथ लड़ता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि यह रक्त को पतला करता है, उसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा घटाता है, थक्कों को जमने से रोकता है तथा कुल मिलाकर दिल की बीमारियों के विरुद्ध एक बहुमुखी हथियार है। यह रक्तचाप को घटाने में भी मददगार है।

कैंसर की चिकित्सा में लहसुन को वैज्ञानिक बिरादरी ने कीमो (रसायन) प्रतिरोधकों की सूची में सबसे ऊपर रखा है। एक अध्ययन से पता चला है कि प्याज की तरह ही लहसुन भी पेट के कैंसर के जोखिम को 60 प्रतिशत कम करता है।

साबुत अनाज : इनमें मौजूद रेशे आपको बवासीर, हर्निया, पैरों में नीली नसों तथा आँत-गुदा कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव करता है। चूँकि साबुत अनाज तथा उनसे बनी पाव रोटी, चपाती तथा नाश्ते की दालें धीरे-धीरे पचती हैं। उनसे रक्त-शर्करा (ग्लूकोज) के स्तर में भी बढ़ोतरी धीरे-धीरे ही होती है, जो मधुमेह (डायबिटीज) को नियंत्रित रखने की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि अनाज के रेशे कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटाने में भी सहायक होते हैं।

मलाई रहित दूध : यह उस कैल्शियम का सर्वश्रेष्ठ स्रोत है जो वृद्धों को ओस्टियो पोरोसिस (अस्थि क्षरण) जैसा अपंग बना देने वाली बीमारी से दूर रखने का एक आवश्यक तत्व है। मलाईयुक्त दूध में भी कैल्शियम होता है, किंतु उसमें दो सेचुरेटेड फैट (वसा) तथा कोलेस्ट्रॉल के मौजूद होने से वह बीमारी का कारण बनते हैं। अनेक अध्ययनों से यह संकेत मिला है कि दूध और पनीर से दाँतों में गड्ढों (कैविटीज) का बनना भी रुकता है, क्योंकि इनमें निहित कैल्शियम और फॉस्फोरस दाँतों की टूट-फूट की मरम्मत कर उनके क्षरण की प्रक्रिया को प्रारंभ ही नहीं होने देते।

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