'गर्दन तोड़ बुखार' |
नाईसीरिया मेनिंजाइटिडीस नामक बैक्टीरिया से उत्पन्न होने वाली बीमारी 'मेनिंजाइटिस' को बोलचाल की भाषा में 'गर्दन तोड़ बुखार' कहा जाता है। यह एक सामान्य और जानलेवा रोग है, इसलिए रोग के लक्षण प्रकट होते ही उपचार शुरू कर देना चाहिए। इसके जीवाणु मनुष्य की थूक या लार में रहते हैं। जब वह छींकता या खाँसता है तो उसके मुँह से निकलकर ये कीटाणु सामने वाले में पहुँच जाते हैं। सर्वप्रथम ये नाक और गले में प्रविष्ट होते हैं, वहाँ अपना घर बनाकर बढ़ते हैं। चार-पाँच दिनों में ही ये स्वस्थ व्यक्ति को बीमार कर देते हैं। परिणामस्वरूप रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। |
Thursday, August 20, 2009
'गर्दन तोड़ बुखार'
डेंगू बुखार का उपचार
डेंगू बुखार का उपचार
सामान्य बीमारियों के उपचार आमतौर पर घर पर ही मिल जाते हैं। बीमारी न हो, इसके लिए सावधानी केवल इतनी रखनी होती है कि घर के आसपास साफ-सफाई रहे और पेयजल भी शुद्ध हो।
डेंगू एक तीव्र संक्रामक ज्वर है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापक रूप से फैला हुआ है। मच्छर के काटने से होने वाला यह रोग साधारण 7 दिवसीय/मध्यकालिक उपचार युक्त अवस्था से लेकर जानलेवा रक्तस्राव के साथ मरीज को मरणासन्न अवस्था तक पहुँचा सकता है।
* इसे दंडक बुखार के नाम से भारत के पूर्व वैद्य वैज्ञानिक सुश्रुत के काल से ही पहचाना गया है।
* डेंगू बुखार एक विशिष्ट मच्छर एडीज (टाइगर मच्छर) द्वारा मुख्यतः दिन के समय काटने से वाइरस द्वारा होने वाला रोग है।
* लक्षण : जाड़ा (ठंड) लगने के साथ तेज बुखार, हाथ-पैर-जोड़ों में असहनीय दर्द एवं वेदना, भूख का ह्रास, अत्यधिक कमजोरी, वमन, अनिद्रा, अवसाद आदि।
* गंभीर रोगावस्था में रोग में रक्तस्राव भी हो सकता है, क्योंकि दंडक बुखार में शरीर में उपस्थित प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से घट जाती है, जो रक्तस्राव कर सकती है। ऐसी स्थिति में यह रोग जीवन के लिए घातक एवं मारक हो सकता है, यदि समुचित उपचार न लिया जाए।
उपचार : औषधीय, चिकित्सक की सलाह पर रोग लक्षण तीव्र होने पर चिकित्सालय में भर्ती होकर खून की संपूर्ण जाँच।
रोकथाम : मच्छरविहीन वातावरण का निर्माण।
* निवास/ कार्यालय के आसपास रुका हुआ पानी जमा न होने दें, जहाँ इन मच्छर के अंडे पनपते हैं।
* घर के कूलर, टायर, पुराने खराब डब्बे/ बर्तन में पानी न जमा होने दें एवं उन्हें उल्टा कर रखें।
* रात्रि में मच्छरदानी का प्रयोग करें।
* संभव हो तो खिड़की पर वेलक्रो-नेटलॉन प्लास्टिक जाली लगवाएँ।
*घर के दरवाजे पर लकड़ी की मच्छर जाली का द्वार लगाएँ।
* घर और ऑफिस का 6 माह में एक बार कीटनाशक से उपचार कराएँ।
चक्रासन से बनी रहे मेरुदंड की सेहत
चक्रासन से बनी रहे मेरुदंड की सेहत
ऐसा माना है जाता है कि मेरुदंड का लचीलापन व्यक्ति को वृद्धावस्था से दूर रखता है। साधारणतः हम शरीर को दैनिक उपक्रम में जितनी भी गति देते हैं, वह आगे की ओर झुकने की क्रियाएँ मात्र होती हैं। ऐसा कोई कार्य नहीं होता जब हम पीठ को पीछे की ओर मोड़ें। ऐसे में पृष्ठवंशीय मेरुरज्जू अपनी पीछे की ओर झुकने की क्षमता खो बैठता है। पीठ में कड़ापन आ जाता है। आगे की ओर अत्यधिक झुकाव से मांसपेशीय खिंचाव के दुष्परिणाम गर्दन, कमर व पीठ दर्द के रूप में उपस्थित होते हैं, अतः वे आसन जिनमें पीठ विपरीत दिशा में गति करे, जरूरी हैं। प्राथमिक तौर पर भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, उष्ट्रासन करने के उपरांत 'चक्रासन' सर्वाधिक लाभदायी है, इसे पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसनों की श्रृंखला में सर्वोत्कृष्ट माना जाता है। इसकी विधि इस प्रकार है-
* पीठ के बल लेट जाइए। घुटने मुड़े हों, एड़ियाँ नितंबों को छूती रहें। हथेलियाँ, जमीन पर घुमाकर रखें, जिससे उँगलियों का अग्रभाग कंधे की ओर रहें।
* दोनों पैरों और दोनों हाथों के मध्य आपसी अंतर कंधे के बराबर रखिए।
* धीरे-धीरे पूरे धड़ को ऊपर उठाइए। सिर को भी धीरे-धीरे इस स्थिति में लाइए कि शरीर के ऊपरी हिस्से का भार सिर के सबसे ऊपरी हिस्से पर पड़े।
* शरीर को पूरी गोलाई में ऊपर उठाइए।
* इस अभ्यास में निष्णात होने के बाद दोनों हाथों व पैरों को नजदीक लाने का प्रयत्न करें।
साधारणतः चक्रासन का अभ्यास श्वास को अंदर रोककर किया जाता है। चक्रासन के पश्चात आगे की ओर झुकने वाला आसन करना चाहिए।
चक्रासन के लाभ इस प्रकार हैं-
* यह मेरुदंड का संपूर्ण व्यायाम है।
* पीठ की मांसपेशियों तथा उदर संस्थान के लिए लाभकारी है।
* हाथों को पुष्ट व सबल बनाता है।
*चेहरे पर रक्त संचार बढ़ाकर उसे कांतिमय बनाता है।
* समस्त नाड़ियों तथा ग्रंथिस्राव को प्रभावित करता है।
उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, अस्थि दोष, नेत्र दोष, कान की व्याधि तथा पेट के आंतरिक घाव की स्थिति में चक्रासन वर्जित है। प्रारंभ में इसे योग निरीक्षक के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।
YOGA-गर्दन को स्वस्थ रखे ब्रह्म मुद्रा
गर्दन को स्वस्थ रखे ब्रह्म मुद्रा |
हमारे शरीर के कुछ अंग जिनकी ओर सामान्यतः हम ध्यान नहीं देते, शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गर्दन इन्हीं अंगों में से एक है। शरीर के सभी अंगों का संचालन मस्तिष्क से होता है और शरीर को मस्तिष्क से जोड़ने का काम गर्दन करती है, अतः गर्दन को चुस्त-दुरुस्त रखना बहुत महत्वपूर्ण है। इस हेतु हमें ब्रह्म मुद्रा का नियमित अभ्यास करना चाहिए। |
भय पर हो सकती है भारी सम्मोहन विद्या
'डर', एक ऐसा शब्द है, जो सकारण और अकारण दोनों तरह से पनप सकता है। अकारण पनपने वाले भय में कल्पनाएँ डराती हैं। दुनिया में सैकड़ों तरह के 'फोबिया' या भय व्याप्त हैं, जिन्हें चिकित्सा विज्ञान ने पहचाना और उनके दूर होने में मदद भी दी है। भय के इन प्रकारों पर सम्मोहन विद्या भी असरदार साबित हो सकती है। इनमें कुछ प्रकार के फोबिया से आइए परिचय करें। |
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Wednesday, August 19, 2009
लाइलाज नहीं हैं सफेद दाग
लाइलाज नहीं हैं सफेद दाग |
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शरीर पर सफेद दाग होना एक ऐसी समस्या है, जिससे व्यक्ति में हीन भावना घर कर जाती है। यदि ये दाग शरीर के उन हिस्सों पर हैं, जो खुले रहते हैं तो न चाहते हुए भी लोगों का ध्यान उस पर जाता है। इस वजह से सफेद दाग से ग्रस्त लोग सामाजिक मेल-मिलाप से कतराते हैं। यही नहीं, ये दाग उनकी शादी-ब्याह में भी बाधक बनते हैं। एक समय था जब इन्हें लाइलाज समझा जाता था तथा इन दागों के साथ जीना व्यक्ति की मजबूरी थी, लेकिन आज इनका इलाज संभव है। यानी इन्हें हटाकर व्यक्ति अपना खोया हुआ आत्मविश्वास प्राप्त कर सकता है। |
बहुपयोगी चुंबक चिकित्सा
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यह 'ईवियाँ वॉटर' कुछ और नहीं है, यह प्राकृतिक चुंबकांतित पानी ही है। भारत, रूस तथा अमेरिका में भी ऐसे झरने हैं जहाँ पर बीमारियों से मुक्त होने के लिए लोगों के झुंड उमड़ते हैं। रूस ने असंख्य रोगों, विशेष रूप से मूत्र प्रणाली से संबंधित रोगों के लिए चुंबकांतित जल का प्रयोग करने की पहल की है तथा वे इस प्रकार के जल को चमत्कारी जल कहकर पुकारते हैं। रूस तथा भारत के अनेक औषधालयों में गुर्दे की पथरी गलाने और उससे छुटकारा पाने के लिए चुंबकांतित जल का प्रयोग किया जाता है। |