Thursday, August 20, 2009

'गर्दन तोड़ बुखार'

'गर्दन तोड़ बुखार'

नाईसीरिया मेनिंजाइटिडीस नामक बैक्टीरिया से उत्पन्न होने वाली बीमारी 'मेनिंजाइटिस' को बोलचाल की भाषा में 'गर्दन तोड़ बुखार' कहा जाता है। यह एक सामान्य और जानलेवा रोग है, इसलिए रोग के लक्षण प्रकट होते ही उपचार शुरू कर देना चाहिए। इसके जीवाणु मनुष्य की थूक या लार में रहते हैं। जब वह छींकता या खाँसता है तो उसके मुँह से निकलकर ये कीटाणु सामने वाले में पहुँच जाते हैं। सर्वप्रथम ये नाक और गले में प्रविष्ट होते हैं, वहाँ अपना घर बनाकर बढ़ते हैं। चार-पाँच दिनों में ही ये स्वस्थ व्यक्ति को बीमार कर देते हैं। परिणामस्वरूप रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं।

हर एक दशक बाद यह रोग आ धमकता है तथा चार-पाँच साल तक कायम रहता है, जिसकी चपेट में लोग आते हैं। प्रायः देखा गया कि पाँच साल से छोटी उम्र के बच्चे इसके शिकार अधिक होते हैं। बच्चों से होता हुआ यह बड़ों तक पहुँच जाता है। गंदी बस्ती या तंग जगहों पर रहने वाले लोगों को यह जल्दी अपनी गिरफ्त में ले लेता है।

अगर गले में खराश, नाक बहना, तेज बुखार, गर्दन दर्द और अकड़न, उल्टियाँ होना, शरीर में छोटे-छोटे दाने निकलना आदि लक्षण देखें तो तुरंत डॉक्टर को बताना चाहिए। उपचार में बरती लापरवाही या विलंब के परिणाम अच्छे नहीं होते। इसका असर आँख और कान पर पड़ता है और वे खराब हो सकते हैं। समय पर उपचार नहीं कराने पर मृत्यु भी हो सकती है और समय पर उपचार शुरू करने से जान बच भी सकती है। आजकल मेनिंजाइटिस के उपचार के लिए अनेक दवाइयाँ उपलब्ध हैं। यदि समय पर दवाएँ ली जाएँ तो एक सप्ताह के भीतर रोगी पूर्णतः रोगमुक्त हो सकता है।

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इसके जीवाणुओं को तीन समूहों में बाँटा है- , बी तथा सी। और इन तीनों समूहों के जीवाणुओं के लिए एक टीका विकसित कर लिया है, जिसके लगाने से मेनिंजाइटिस से खतरे से दूर रहा जा सकता है।

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